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Dainik Bhaskar (Hindi)
Articles printed in Dainik Bhaskar (Hindi)
उम्मीद जगाने वाले 10 कदम
| August 25, 2014 - 00:00हम सब स्वतंत्रता दिवस पर नरेंद्र मोदी के भाषण से बहुत प्रभावित हुए। जवाहरलाल नेहरू के बाद से हमने लाल किले से ऐसा ताजगीभरा, उत्साह बढ़ाने वाला और ईमानदारी जाहिर करता भाषण नहीं सुना। मोदी हिंदू राष्ट्रवादी की तरह नहीं, भारतीय राष्ट्रवादी की तरह बोले। आदर्शवाद की ऊंची-ऊंची बातें नहीं कीं, कोई बड़ी नीतिगत घोषणाएं नहीं कीं और न खैरात बांटीं। आमतौर पर हमारे नेता बताते हैं कि वे हमें क्या देने वाले हैं। उन्होंने बताया कि हमें कौन-सी चीजें राष्ट्र को देनी चाहिए।
कई बातें स्पष्ट कर सकते थे जेटली
| July 15, 2014 - 00:00नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बने दो माह हो गए और यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि यह एक 'मोदी सरकार' है। उन्होंने सरकारी दफ्तरों के शीर्ष पर बैठे सभी प्रमुख सचिवों से सीधा संपर्क स्थापित कर लिया है। वे उन्हें फैसले लेने और यदि कुछ गड़बड़ हो जाता है तो उनसे संपर्क करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं। सचिवों और प्रधानमंत्री के बीच मंत्रियों की दुविधापूर्ण स्थिति है, कैबिनेट के साधारण दर्जे को देखते हुए यह शायद अच्छा ही है। मंत्री तो खुश हो नहीं सकते। उन्हें रिश्तेदारों को नौकरियां देने की मनाही है। वे फैसलों में व्यक्तिगत हित नहीं देख सकते।
युवा वोटर को गरिमा देेने वाले नतीजे
| May 23, 2014 - 00:00यदि भारतीयों ने अगस्त 1947 में आजादी और जुलाई 1991 में आर्थिक स्वतंत्रता हासिल की थी तो अब मई 2014 में उन्होंने गरिमा हासिल की है। नरेंद्र मोदी की जोरदार जीत का यही महत्व है। यदि आप मोदी को सत्ता में लाने वाले मतदाता को जानना चाहते हैं तो आपको एक ऐसे युवा की कल्पना करनी पड़ेगी जो हाल ही गांव से स्थानांतरित होकर किसी छोटे शहर में आया है। उसे अभी-अभी अपनी पहली नौकरी और पहला फोन मिले हैं और जिसे अपने पिता से बेहतर जिंदगी की तमन्ना है। मोदी के संदेश के आगे वह अपनी जाति व धर्म भूल गया, जिसे उसने अपने गांव में ही छोड़ दिया है। उसमें आत्मविश्वास पैदा हुआ और भविष्य के लिए उम्मीद
वोट उसे जो युवाओं के बूते तरक्की लाए
| April 2, 2014 - 22:27अगले महीने होने वाले आम चुनाव भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण चुनाव हो सकते हैं। देश के सामने विशाल युवा आबादी के रूप में सीमित मौका है। यदि हम उचित प्रत्याशी को चुनते हैं तो यह फैसला करोड़ों भारतीयों की जिंदगी में समृद्धि लाएगा और वक्त के साथ भारत एक मध्यवर्गीय देश हो जाएगा। यदि हम गलत उम्मीदवार चुनते हैं तो फायदे की यह स्थिति विनाश में बदल सकती है और भारत इतिहास में पराजित देश के रूप में दर्ज हो सकता है।
अमर प्रेम के भ्रम से उपजी त्रासदी
| February 24, 2014 - 15:55पिछले एक माह में रिश्तों में पैदा हुई त्रासदी से कई महत्वपूर्ण लोगों की जिंदगी में विनाश आया है। अच्छे लेखक और यूपीए सरकार में मंत्री शशि थरूर की पत्नी की दिल्ली में मौत हुई। कहा गया कि यह आत्महत्या थी। लगभग इसी समय फ्रांस की प्रथम महिला वैलेरी ट्रिरवेइलर को भी पेरिस के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। ये दोनों घटनाएं संदिग्ध विवाहेत्तर रिश्तों के उजागर होने के बाद हुई। सुनंदा पुष्कर ने अपने पति पर एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ अंतरंग संबंधों का आरोप लगाया। ट्रिरवेइलर की जिंदगी फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांड के एक अभिनेत्री से संबंधों के कारण उजड़ गई। प्रकरण उजागर होने
भ्रष्टाचार नहीं, महंगाई बनेगी मुद्दा
| January 29, 2014 - 00:00हाल में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी महंगाई की ही शिकायत कर रहा था। टीवी पर लोग आलू, प्याज, घी और दाल की कीमतें बताते नजर आते थे। हालांकि चुनावी पंडित हमेशा का चुनाव राग ही गा रहे थे, लेकिन कांग्रेस की हार में भ्रष्टाचार से ज्यादा महंगाई का हाथ रहा। हाल में महंगाई कुछ कम हुई हैं, लेकिन सभी दलों के लिए यह चेतावनी है कि आम आदमी महंगाई के दंश को भूलने वाला नहीं है और यह आगामी आम चुनाव में नजर आएगा।
दैनिक भास्कर मे जून 2008 से जुलाई 2009 तक प्रकाशित लेख
| September 1, 2009 - 05:10गुरचरण दास के लेख नियमित रूप से अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, तेलगू एवं मलयालम भाषाओं के अखबारों मे प्रकाशित होते हैं। हिंदी अखबार दैनिक भास्कर मे जून 2008 से जुलाई 2009 के मध्य प्रकाशित उनके लेख पढने के लिये यह फाईल [PDF Version - 493 KB] डाउनलोड करें।