It Is All about Execution

Narendra Modi's defining qualities are a sense of purpose.

भरोसे का अहसास

यदि भारतीयों ने अगस्त 1947 में राजनीतिक आजादी हासिल की थी तो जुलाई 1991 में उन्हें आर्थिक आजादी मिली, लेकिन मई 2014 में उन्होंने अपनी गरिमा हासिल की। यह नरेंद्र मोदी की अभूतपूर्व जीत के महत्व को दर्शाता है। भारत के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है जब नव मध्य वर्ग को अपनी उम्मीदों और आकांक्षाओं की पूर्ति का भरोसा जगा है। मोदी ने लाखों लोगों का विश्वास जगाया है कि उनका भविष्य बेहतर है और इस मामले में किसी तरह से पूर्वाग्रही होने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि अपने कामों से स्थिति को बदला जा सकता है। एक बेहतरीन पुस्तक बुर्जुआजी डिग्निटी में देरद्रे मैक्लॉस्की ने बताया है कि 19वीं श

Modi’s moment is about middle class dignity

If Indians won their political freedom in August 1947 and their economic freedom in July 1991, they have attained dignity in May 2014. This is the significance of Narendra Modi’s landslide victory. The hopes and dreams of an aspiring new middle class have been affirmed for the first time in India’s history. Modi has made millions believe that their future is open, not predetermined, and can be altered by their own actions.

युवा वोटर को गरिमा देेने वाले नतीजे

यदि भारतीयों ने अगस्त 1947 में आजादी और जुलाई 1991 में आर्थिक स्वतंत्रता हासिल की थी तो अब मई 2014 में उन्होंने गरिमा हासिल की है। नरेंद्र मोदी की जोरदार जीत का यही महत्व है। यदि आप मोदी को सत्ता में लाने वाले मतदाता को जानना चाहते हैं तो आपको एक ऐसे युवा की कल्पना करनी पड़ेगी जो हाल ही गांव से स्थानांतरित होकर किसी छोटे शहर में आया है। उसे अभी-अभी अपनी पहली नौकरी और पहला फोन मिले हैं और जिसे अपने पिता से बेहतर जिंदगी की तमन्ना है। मोदी के संदेश के आगे वह अपनी जाति व धर्म भूल गया, जिसे उसने अपने गांव में ही छोड़ दिया है। उसमें आत्मविश्वास पैदा हुआ और भविष्य के लिए उम्मीद

Modi needs to give India its Thatcher moment

The country’s new leader must now initiate institutional reforms, says Gurcharan Das

मोदी का भावी पथ

कई मायनों में यह माह बहुत उत्साहजनक रहा है। भारत में हो रहे विशाल चुनाव मेले को लेकर टीवी स्क्रीन पर जो कुछ देखने-सुनने को मिला वह बहुत ही आश्चर्यजनक है। मेरे मन-मस्तिष्क को जो तस्वीर सर्वाधिक कुरेदती है वह है पश्चिमी उत्तर प्रदेश के एक छोटे से कस्बे में रहने वाले एक मुस्लिम लड़के फरीद का आत्मविश्वास भरा रवैया। जब एक खबरिया चैनल की महिला पत्रकार ने उस लड़के का नाम पूछा तो उसने चेहरे पर मुस्कान बिखेरते हुए उत्तर दिया कि आखिर इसकी परवाह ही किसे है?

Modi shouldn't forget Fareed and millions like him

It has been an exhilarating month. We have marvelled at the sights and sounds of India's great election mela on our television screens. The image, most memorably etched in my mind is of a confident Muslim boy, Fareed, in a small town in Western UP. When the female interviewer asks his name, he retorts with a flirtatious smile, "Who wants to know?" He tells us proudly that the pucca street on which they are standing was a kaccha village road not long ago.

Modesty Is A Slow Killer

This model piece of non-fiction narrates a tragedy of our times—how the brilliant Manmohan Singh fell from grace and stumbled his way through a tough term as PM.

Secularism or growth? The choice is yours

This month’s national election may well be the most important in India’s history. Our country faces a limited window of oppor tunity called the ‘demographic dividend’ and if we elect the right candidate, prosperity will enter crores of lives. And in the course of time, India will become a middle class country. If we elect the wrong candidate, India will experience a ‘demographic disaster’ and the great hope of youth will turn into despair.

वोट उसे जो युवाओं के बूते तरक्की लाए

अगले महीने होने वाले आम चुनाव भारतीय इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण चुनाव हो सकते हैं। देश के सामने विशाल युवा आबादी के रूप में सीमित मौका है। यदि हम उचित प्रत्याशी को चुनते हैं तो यह फैसला करोड़ों भारतीयों की जिंदगी में समृद्धि लाएगा और वक्त के साथ भारत एक मध्यवर्गीय देश हो जाएगा। यदि हम गलत उम्मीदवार चुनते हैं तो फायदे की यह स्थिति विनाश में बदल सकती है और भारत इतिहास में पराजित देश के रूप में दर्ज हो सकता है।