चयन का सही आधार

आने वाले कुछ सप्ताह में मैं मतदान करने के लिए जाऊंगा। मतदान बूथ पर मेरा सामना खामियों-खराबियों वाले उम्मीदवारों से होगा, लेकिन मेरे सामने उसे चुनने की मजबूरी होगी जिसमें सबसे कम खामी होगी। यहां सवाल यही है कि किस आधार पर मैं अपनी पसंद के उम्मीदवार का चयन करूं?

नए नेतृत्व का एजेंडा

दुनिया आशावाद और निराशावाद में बंटी हुई है। आर्थिक आशावादियों का विश्वास है कि यदि सरकार बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में निवेश करे और उद्यमियों के समक्ष मौजूद बाधाओं को दूर करे तो बड़ी तादाद में नौकरियों के सृजन के साथ-साथ अर्थव्यवस्था का विकास संभव होगा। इससे कर राजस्व बढ़ेगा, जिसका निवेश गरीबों पर किया जा सकेगा। यदि कुछ दशक तक हम इस नीति का अनुकरण करें तो हमारा देश धीरे-धीरे मध्य वर्ग में तब्दील हो जाएगा। दूसरी ओर निराशावादियों की भी कुछ चिंताएं हैं, जिनमें असमानता, क्रोनी कैपिटलिज्म, पर्यावरण का क्षरण, शहरीकरण की बुराई आदि शामिल हैं। ये समस्याएं वास्तविक हैं, लेकिन आशावा

Elect to transform India with these eight big ideas

The world is divided between optimists and pessimists. Optimists believe that if the government invests in infrastructure, removes barriers facing entrepreneurs, jobs will multiply, the economy will grow, and the country will gradually turn middle class. Pessimists worry about problems— inequality, crony capitalism, degrading environment, etc. The problems are real but optimists focus on opportunities and lead nations to success.

अमर प्रेम के भ्रम से उपजी त्रासदी

पिछले एक माह में रिश्तों में पैदा हुई त्रासदी से कई महत्वपूर्ण लोगों की जिंदगी में विनाश आया है। अच्छे लेखक और यूपीए सरकार में मंत्री शशि थरूर की पत्नी की दिल्ली में मौत हुई। कहा गया कि यह आत्महत्या थी। लगभग इसी समय फ्रांस की प्रथम महिला वैलेरी ट्रिरवेइलर को भी पेरिस के अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। ये दोनों घटनाएं संदिग्ध विवाहेत्तर रिश्तों के उजागर होने के बाद हुई। सुनंदा पुष्कर ने अपने पति पर एक पाकिस्तानी पत्रकार के साथ अंतरंग संबंधों का आरोप लगाया। ट्रिरवेइलर की जिंदगी फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वां ओलांड के एक अभिनेत्री से संबंधों के कारण उजड़ गई। प्रकरण उजागर होने

Modern marriages aren’t made in heaven

In the past few weeks, sexual tragedies have blighted some prominent and attractive lives. Sunanda Pushkar, wife of the writer and minister, Shashi Tharoor, died recently in Delhi. Around the same time, the French First Lady, Valerie Treirweiler, had to be hospitalized in Paris. Both events followed revelations of alleged sexual affairs. Sunanda Pushkar accused her husband of an intimate relationship with a Pakistani journalist. Ms Treirweiler was devastated by the French president, Francois Hollande’s liaison with an actress; France’s first family split a few days later.

Modern marriages aren’t made in heaven

In the past few weeks, sexual tragedies have blighted some prominent and attractive lives. Sunanda Pushkar, wife of the writer and minister, Shashi Tharoor, died recently in Delhi. Around the same time, the French First Lady, Valerie Treirweiler, had to be hospitalized in Paris. Both events followed revelations of alleged sexual affairs. Sunanda Pushkar accused her husband of an intimate relationship with a Pakistani journalist. Ms Treirweiler was devastated by the French president, Francois Hollande’s liaison with an actress; France’s first family split a few days later.

आप से ज्यादा उम्मीद नहीं

आम आदमी पार्टी को दिल्ली चुनावों में मिली सफलता से तमाम भारतीय नागरिक मंत्रमुग्ध हैं। आम आदमी पार्टी का नेतृत्व 45 वर्षीय सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल के हाथों में है, जो फिलहाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं। यह पार्टी महज एक साल पुरानी है, लेकिन इसकी अपार लोकप्रियता भारत के दो प्रमुख राजनीतिक दलों-वाम नीतियों के प्रति झुकाव रखने वाली कांग्रेस और हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी की सर्वोच्चता को चुनौती पेश कर रही है। अपनी तमाम प्रशंसनीय विशेषताओं के बावजूद आप वह पार्टी नहीं है जो अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर ला सके अथवा रोजगार और विकास के संदर्भ में भारत की क्षमताओं

भ्रष्टाचार नहीं, महंगाई बनेगी मुद्दा

हाल में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी महंगाई की ही शिकायत कर रहा था। टीवी पर लोग आलू, प्याज, घी और दाल की कीमतें बताते नजर आते थे। हालांकि चुनावी पंडित हमेशा का चुनाव राग ही गा रहे थे, लेकिन कांग्रेस की हार में भ्रष्टाचार से ज्यादा महंगाई का हाथ रहा। हाल में महंगाई कुछ कम हुई हैं, लेकिन सभी दलों के लिए यह चेतावनी है कि आम आदमी महंगाई के दंश को भूलने वाला नहीं है और यह आगामी आम चुनाव में नजर आएगा।

Aam Aadmi is not the reforming party India needs

The leadership is trapped in the ideas of the old left, writes Gurcharan Das

Inflation, not corruption, will be the key issue in LS polls

In the last assembly elections, the aam admi complained inconsolably of rising prices. TV clips showed voters quoting the prices of potatoes, onions, and dal. Pundits put it down to the ‘usual election whining’, but more than corruption, inflation turned out to be the reason for Congress’ defeat. Even though it has slowed a bit recently, all political parties are warned — the aam admi is not going to forget the pain of inflation in the coming general election.