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नोटबंदी को बचाकर ऐसे निकालें कालाधन
| December 1, 2016 - 00:00
नोटबंदी के तीन हफ्ते बाद आम आदमी की जिंदगी में तकलीफ, आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती और कई क्षेत्रों में नौकरियां जाने की खबरें दिखने लगी हैं। अगली दो तिमाही में अर्थव्यवस्था दो प्रतिशत अंक से सिकुड़ जाएगी- राष्ट्रीय संपदा का यह बहुत बड़ा नुकसान है। लेकिन अब पीछे हटने की कोई गुंजाइश नहीं है। आइए, देखें कि नरेंद्र मोदी नोटबंदी को बचाकर कैसे कालेधन वाले भ्रष्टाचार के स्रोत खत्म कर सकते हैं।
रफ्तार ही मूलभूत सार है। नई नकदी के लिए केवल अपने प्रिंटिंग प्रेस पर ही निर्भर मत रहिए। उन मित्र देशों की करेंसी प्रेस की मदद लीजिए, जिनकी सुरक्षा का स्तर हमसे ऊंचा है। प्रेस अधिक रफ्तार से चलती हैं। विमान से नोट ले जाकर बैंकों में नकदी का सैलाब ला दें। विकल्प स्विट्जरलैंड और अमेरिका की नोट प्रेस ही हैं।
भारतीय प्रिंटिंग प्रेस को सारे नोट बदलने के लिए अावश्यक करेंसी देने में छह माह लग जाएंगे। यदि विदेशी सरकारों से नोट छपवा लिए जाएं तो समस्या एक हफ्ते में सुलझ जाएगी। भूतकाल में भी विदेशी नोट प्रेस भारतीय मुद्रा छाप चुकी हैं। असली तकलीफ लंबी कतार में घंटों खड़े रहना नहीं है, बल्कि यह है कि सारे ही क्षेत्रों में बिज़नेस ठप हो गया है।
आय घोषित करने की योजना का दायरा बढ़ाएं। सही है कि माफी की पिछली योजना को मामूली सफलता ही मिली, लेकिन अब डंडा लहराने के बाद थोड़ी रियायत बेहतर परिणाम दे सकती है। नोटबंदी ने नए किस्म के मुद्रा-दलालों को जन्म दिया है, जो पुराने नोट 30 से 40 फीसदी के डिस्काउंट पर बदल रहे हैं। चूंकि सरकार कालेधन के खिलाफ बेनामी जमीनों की जांच जैसे अौर अधिक कठोर कदम उठाने की धमकी दे रही है, लोगों का झुकाव किसी नए ब्रोकर के जरिये पुराने कालेधन को नए कालेधन में बदलने की बजाय योजना के माध्यम से कालेधन को सफेद में बदलने का होगा। 50 फीसदी की दर ठीक है। कुछ लोग अपने कालेधन को ‘वर्तमान आय’ के रूप में उजागर कर कानूनी रूप से 35 फीसदी टैक्स देने का विकल्प भी चुन सकते हैं, लेकिन इसका भी स्वागत किया जाना चाहिए। एक अन्य विकल्प कम फायदा देने वाले दीर्घावधि के बॉन्ड निकालना भी है, जो कालेधन को सफेद में बदलेंगे। सरकार को सस्ते में पैसा हासिल होने का फायदा मिलेगा। उद्देश्य नौकरियां पैदा करने वाले समाज के सबसे उत्पादक समूह में भय कम करना होना चाहिए। उन्हें खलनायक मत बनाइए, क्योंकि यह धर्मयुद्ध नहीं है। लक्ष्य बेहतरी के लिए पुरानी आदतें बदलने का है।
उत्पीड़न खत्म कीजिए। कानून का पालन करने वाले नागरिक खुशी से टैक्स चुकाएंगे यदि उन्हें भरोसा होगा कि आयकर अधिकारी उनके साथ सम्मान का व्यवहार करेंगे। लोगों को यह बताने की जरूरत है कि वे टैक्स रिटर्न ऑनलाइन भर सकते हैं, टैक्स ऑनलाइन भर सकते हैं और ऑनलाइन ही रिफंड प्राप्त कर सकते हैं। मेरे पड़ोसी ने अपना रिटर्न अक्टूबर में भरा और नवंबर में उन्हें रिफंड मिल गया। मोदी को चाहिए कि वे इसे लेकर अभियान चलाएं ताकि लोगों को आश्वस्त किया जा सके। यदि कोई टैक्स अधिकारी करदाता को उत्पीड़ित करता पाया गया तो कड़ी सजा भी दी जाए।
कालेधन का सदुपयोग करें। कई धनी लोग पुराने नोट पकड़े जाने के भय से पुराने नोट नहीं बदलाएंगे। सरकार को यह महंगाई बढ़ाने वाला धन अनुमानित 3 लाख करोड़ रुपए- सड़क निर्माण, सिंचाई और कम आय वाले आवास पर खर्च करना चाहिए ताकि बड़े पैमाने पर जॉब निर्मित हों और नोटबंदी में गंवाई नौकरियों की कुछ भरपाई हो सके। एक अन्य विकल्प सारे जन-धन खातों में 10 हजार रुपए की रकम जमा करना है। इसमें 2.50 लाख करोड़ खर्च होंगे। इसके बाद भी मूलभूत ढांचे पर खर्च के लिए 50 हजार करोड़ रुपए शेष रहेंगे।
रीयल एस्टेट पर फोकस। नोटबंदी से वह भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा, जो काला धन निर्मित करता है। रीयल एस्टेट में हर कदम भ्रष्टाचार के दलदल में धंसा है- जमीन खरीदने से मंजूरी मिलने तक। काला धन जरूरत से ज्यादा स्टैम्प ड्यूटी का भी नतीजा है। यही वजह है कि विजय केलकर ने स्टैम्प ड्यूटी को जीएसटी में मिलाने की सिफारिश की है। हमें तर्कपूर्ण करों और जमीन के स्वच्छ सौदों के लिए संघर्ष करना चाहिए।
सोने पर कस्टम ड्यूटी वापस लीजिए। 1991 के बाद आयात संबंधी पाबंदियां हटाए जोन से सोने की तस्करी घट गई। सोने अाभूषणों में साफ-सुधरा बिज़नेस फला-फूला। 2013 में इसे धक्का लगा जब सोने पर आयात शुल्क फिर लागू हो गया। नकद भुगतान आम हो गया, क्योंकि तस्करी का सोना सस्ता था।
वैध चुनावी चंदे पर लगी मूर्खतापूर्ण पाबंदियों में सुधार लाएं। इससे चुनाव में कालेधन का इस्तेमाल होने लगा। मैं राजनीतिक दलों को सरकार की ओर से धन देने के खिलाफ हूं। इसमें तो मेरी गाढ़ी कमाई से लिए टैक्स का उपयोग उन प्रत्याशियों और वंश परम्परा वाले परिवारों को देने में किया जाएगा, जिन्हें मैं नापसंद करता हूं। इसके बजाय हमें अमेरिका और यूरोप में प्रचलित वैध धन से फंडिंग की परम्पराएं अपनानी चाहिए।
नौकरशाही में सुधार करें। काला धन प्रशासनिक विवेकाधिकार से पैदा होता है। सिविल सेवाओं में सुधार की शुरुआत का सबसे अच्छा तरीका है जस्टिस श्रीकृष्ण के इंडियन फाइनेंशियल कोड लागू करना है।
कालेधन को पूरी तरह समाप्त करने का प्रयास करें। लोगों को कानून तोड़ना तो नहीं चाहिए, लेकिन छोटे-मोट उल्लंघनों की अनदेखी कर देनी चाहिए, जैसे हम लालबत्ती पर सड़क पार करने वाले पैदल राहगीरों की अनदेखी कर देते हैं। नकदी से व्यवस्था को तेल-पानी मिलता है और वह सुगमता से चलती है और नकदी विहीन समाज पर सरकार को अतिरिक्त निगरानी रखनी पड़ेगी और स्वतंत्रता का दायरा कम होगा। नोटबंदी से आदतें बहुत तेजी से बदल रही हैं और व्यापारी व्यवसाय चेक, डेबिट कार्ड और मोबाइल वॉलेट के आदी हो रहे हैं, लेकिन नकदी की जरूरत तो हमेशा रहेगी। ध्यान रहे कि सारी नकदी काली नहीं होती।
आम आदमी के नोटों को हाथ न लगाएं। अगली बार आप नोटबंदी करना चाहें तो बाजार को पहले 5,000 और 10,000 रुपए के नोटों से भर दें। जब कालाधन इन बड़े नोटों में जाए तो केवल उन नोटों को बंद कर दीजिए। आम आदमी को बख्श दीजिए।
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